हिंदू धर्म में एक प्रसिद्ध कथा है जो देवताओं और दानवों के बीच हुए संघर्ष का वर्णन करती है। इस कथा के अनुसार, देवताओं और दानवों ने मिलकर मंथन किया। समुद्र मन्थन की कथा: • देवताओं और दानवों के बीच युद्ध हुआ, जिसमें देवता हार गए। • देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। • भगवान विष्णु ने कुर्मावतार धारण किया और समुद्र को मंथन करने के लिए अपनी पीठ पर मंदराचल पर्वत धारण किया। • वासुकी नाग को रस्सी के रूप में इस्तेमाल किया गया। • देवता और दानव दोनों ने मिलकर समुद्र का मंथन किया। मंथन से निकली चीजें: • समुद्र मंथन से 14 रत्न निकले, जिनमें अमृत, कौस्तुभ मणि, चंद्रमा, लक्ष्मी, कामधेनु, ऐरावत, उच्चैःश्रवा, शंख, धनुष, पांचजन्य, धन्वंतरि, वारुणी और कल्पवृक्ष शामिल हैं। • हलाहल नामक विष भी निकला, जिसे भगवान शिव ने ग्रहण कर लिया। परिणाम: • अमृत के लिए देवताओं और दानवों के बीच संघर्ष हुआ। • भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण करके दानवों को धोखा दिया और अमृत देवताओं को पिला दिया। • देवता अमृत पीकर अमर हो गए। समुद्र मन्थन का महत्व: • समुद्र मन्थन कथा अच्छाई और बुराई, ज्ञान और अज्ञान, और जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष का प्रतीक है। • यह कथा हमें सिखाती है कि धैर्य, सहयोग और रणनीति से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है। समुद्र मन्थन से जुड़ी कुछ अन्य बातें: • समुद्र मन्थन का उल्लेख हिंदू धर्म के कई ग्रंथों में मिलता है, जैसे कि भागवत पुराण, महाभारत और विष्णु पुराण। • समुद्र मन्थन कथा को अक्सर कला और मूर्तिकला में चित्रित किया जाता है। यह भी ध्यान दें: • समुद्र मन्थन एक पौराणिक कथा है, और इसे शाब्दिक रूप से नहीं लिया जाना चाहिए। • यह कथा हमें नैतिकता और आध्यात्मिकता के बारे में महत्वपूर्ण सबक सिखाती है।